Gujrat: वोटों की खातिर मोरबी के असल जिम्मेदार पकड़ से बाहर..? अजंता ग्रुप पर मेहरबान रही है गुजरात सरकार, ढाई सौ एकड़ जमीन भी दी..!


मोरबी के असल जिम्मेदारों तक सरकार पहुंच नहीं पाई है या पहुंचना ही नहीं चाह रही है, ये सवाल हर तरफ उठ रहा है। बीजेपी को मोरबी में मरने वालों से कोई सहानुभूति नहीं है अपितु उसे गुजरात चुनाव में वोटों की चिंता ज्यादा है। दिल्ली का उपहार सिनेमा कांड आपको याद होगा, उसके मालिक सात साल जेल रहे थे, लेकिन मोरबी पुल गिरने के जिम्मेदार शायद ही जेल जाएं। 
असल बात यह है कि मोरबी की मरम्मत का काम जिस अजंता कम्पनी को दिया गया था, उस कंपनी का मूल काम जानी मानी अजंता घड़ियां बनाना है। और उससे महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि इस कंपनी के कर्ताधर्ता जय सुख पटेल हैं, जो कड़वा पाटीदार जाति के हैं। ये सब जानते हैं कि गुजरात चुनाव में पाटीदार जाती क्या महत्व रखती है। एक दो नहीं पूरी 93 सीटें पाटीदारों के प्रभाव वाली बताई जाती हैं। साफ है कि यदि मोरबी कांड में अजंता के मालिक को गिरफ्तार किया गया तो पाटीदार नाराज हो सकते हैं। विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी केवल ये का रही है कि मूल आरोपियों को पकड़ो, कौन है, इस बारे में कोई नहीं बोल रहा है। 
गुजरात के मोरबी शहर में में हुए पुल हादसे में चीफ फायर ऑफिसर संदीप सिंह जाला को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। किसी सरकारी अधिकार के खिलाफ प्रशासन की यह पहला बड़ा एक्शन है। गुजरात पुलिस ने गुरुवार को मोरबी नगरपालिका के चीफ ऑफिसर संदीप सिंह जाला से 4 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी।
ढाई सौ एकड़ जमीन दी अजंता ग्रुप को ? 
सूत्र बताते हैं कि गुजरात सरकार ने पाटीदार फैक्टर के चलते ही अजंता ग्रुप को ढाई सौ एकड़ जमीन दी। ये बहुमूल्य जमीन उद्योग के नाम पर दी गई बताते है। अब जिस ग्रुप पर गांधीनगर से लेकर दिल्ली तक की मेहरबानी हो, उसके मालिक को कैसे गिरफ्तार किया जा सकता है, चर्चा तो यही है।

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