सरपट दौड़ेगी ग्वालियर इंदौर एक्सप्रेस ...!

किसी जमाने में मोती माधव एक्सप्रेस खूब चली, लेकिन फायदा मोती ने उठाया। अब एक नई एक्सप्रेस चलने की खबर आ रही है, ग्वालियर इंदौर एक्सप्रेस। सत्ता परिवर्तन और अभयदान ही खबरों के बीच इंदौर जंक्शन से ये राजनीतिक एक्सप्रेस प्लेटफार्म छोड़ चुकी है, देखना होगा किस मुकाम तक पहुंच पाती है।
राजनीतिक उठापटक का दौर थाम गया है, अभी नहीं कहा जा सकता। सत्ता और संगठन में परिवर्तन की चर्चाओं के चलते कई लोग अपनी प्रतिबद्धता दिखा रहे हैं तो कुछ भड़ास भी निकाल रहे हैं। बयानों की बहार भी आ गई है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर चर्चाओं के केंद्र में हैं। पिछले हफ्ते इंदौर गए, कैलाश विजयवर्गीय से मिले तो चर्चाएं शुरू हो गईं। कैलाश विजयवर्गीय हालांकि हर बार बयान देते हैं कि अगला चुनाव शिवराज के नेतृत्व में ही होंगे पर उन्हें शिवराज का विरोधी ही माना जाता है। इसलिए एक मुलाकात की चर्चा होने लगी। अब एमसीए का कार्यक्रम हुआ तो उसके एक वीडियो ने हलचल मचा दी। इसमें सिंधिया मंच से उतर रहे हैं और नीचे बैठे कैलाश विजयवर्गीय के पास जाते हैं। उनका हाथ पकड़ते हैं और मंच पर ले जाते हैं। ये वीडियो राजनीतिक गलियारों में अचानक धूम मचाने लगा है। इसे ग्वालियर इंदौर एक्सप्रेस कह रहे हैं। कोई सिंधिया विजयवर्गीय एक्सप्रेस भी कह सकते हैं। अब सत्ता परिवर्तन होगा या नहीं, ये भविष्य के गर्त में है। जो दो चार दिन की बात कर रहे थे, चुप होने लगे हैं लेकिन नई एक्सप्रेस ने नई उम्मीद जरूर जगा दी है। इसमें गंगा यमुना के साथ सरस्वती की तरह एक नदी और मिलने की चर्चा है, लेकिन फिलहाल वो लुप्त ही है। नई एक्सप्रेस कहां तक जाती है, कितनी चल पाती है, फिलहाल अनुमान लगाना मुश्किल है। पर नए समीकरण कुछ तो गुल खिलाएंगे ही।
- संजय सक्सेना

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