केंद्र की मोदी सरकार ने कांग्रेस नेता शशि थरूर को संसदीय समिति के अध्यक्ष पद से हटा दिया है। एकभाजपा सांसद सहित संसद की स्थायी समिति के पांच सदस्यों ने शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को संयुक्त रूप से पत्र लिखा है। सदस्यों ने आग्रह किया है कि सूचना प्रौद्योगिकी समिति के प्रमुख के रूप में शशि थरूर को फिर से बहाल किया जाए।
थरूर ने भी सरकार के फैसले पर चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा है, “मैं सरकार के असामान्य निर्णय से निराश हूं। इस तरह की असहिष्णुता से संसदीय लोकतंत्र को नुकसान होता है।”
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी स्पीकर को एक पत्र भेजकर प्रमुख विपक्षी दल (कांग्रेस) के लिए सम्मानजनक व्यवहार की मांग की है।
थरूर आईटी मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष थे। कांग्रेस की मांग है कि अगर सरकार आईटी की समिति को अपने पास रखना चाहती तो उन्हें विदेश मामलों की समिति में बहला करे क्योंकि 2019 तक वह उनके पास ही थी।
चौधरी ने ओम बिरला को लिखे में पत्र में ध्यान दिलाया है कि परंपरा के अनुसार प्रमुख विपक्षी दल के पास शीर्ष चार समितियों में से कम से कम एक होना चाहिए।
लोकसभा अध्यक्ष को संयुक्त रूप से पत्र लिखने वाले पांच लोगों में भाजपा के अनिल अग्रवाल, सीपीएम के जॉन ब्रिटास, कांग्रेस के कार्ति चिदंबरम, टीएमसी की महुआ मोइत्रा और डीएमके की टी सुमति शामिल हैं। पत्र में लिखा गया है कि “समिति का आवंटन आम तौर पर नई लोकसभा की शुरुआत में ही हो जाता है और यह तब तक बना रहता है जब तक कि कुछ असाधारण परिस्थितियों उसे भंग न कर दिया जाए।”
पत्र में आगे लिखा है ”17वीं लोकसभा के बीच में हमारी समिति के अध्यक्षता को बदल देना एक झटका है। कई संसदीय स्थायी समितियों में से, हमारी समिति लगातार बैठकें आयोजित करने में हमेशा सक्रिय रही है, जिसके परिणामस्वरूप संसदीय सत्रों के साथ-साथ अंतर-सत्र अवधि के दौरान भी ठोस कार्रवाई हुई है।”
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