कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा हलचल जिस राज्य में है, वह है राजस्थान। इसकी वजह यह है कि अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में उतरने जा रहे हैं, लेकिन वह राजस्थान के सीएम की भूमिका को लेकर पसोपेश में हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अशोक गहलोत ने बुधवार को सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान भी सीएम पद को लेकर अपनी चिंताओं को रखा है। अशोक गहलोत ने कहा है कि वह चाहते हैं कि या तो उन्हें फरवरी तक अगला बजट पेश करने तक सीएम रहने दिया जाए। अन्यथा उनके ही किसी भरोसेमंद नेता को सीएम की कुर्सी सौंपी जाए। वह किसी भी कीमत पर अपने चिर प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं देखना चाहते।
यही वजह है कि अशोक गहलोत ने बुधवार सुबह कहा था कि मैं पार्टी के लिए एक, दो या तीन पद भी संभाल सकता हूं और कुछ भी छोड़ सकता हूं। एक, दो या तीन पद संभालने वाली उनकी टिप्पणी को सीएम पद पर बने रहने की इच्छा से भी जोड़ा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस बात पर भी विचार चल रहा है कि अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष की बजाय कार्यकारी अध्यक्ष का जिम्मा दिया जाए और वह राजस्थान के सीएम भी बने रहें। ऐसा होने पर अशोक गहलोत की मुराद पूरी हो सकती है, लेकिन शायद हाईकमान ऐसा नहीं चाहता है। इसलिए अशोक गहलोत ने अपनी जगह पर सीपी जोशी का नाम सुझाया है।
क्या पायलट फिर से हार जाएंगे बाजी?
सचिन पायलट के समर्थक रह-रह कर मांग उठाते रहे हैं कि उन्हें सीएम बना दिया जाए। अब अशोक गहलोत को अध्यक्ष का रोल मिलने की चर्चा होने पर एक बार फिर से पायलट समर्थन सक्रिय हैं। हालांकि समर्थकों की मांग और राजनीतिक कयासों पर सचिन पायलट खुल कर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। बता दें कि 2020 में अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट ने मोर्चा खोल दिया था और हाईकमान के दखल के बाद ही वह शांत हुए थे। बीते दिनों राहुल गांधी ने भी एक कार्यक्रम में सचिन पायलट का जिक्र करते हुए कहा था कि 'ये कांग्रेस पार्टी हमें लगातार काम करने की ऊर्जा देती है। हमें थकने नहीं देती और हमें हर रोज धैर्य रखना सिखाती है।'
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