संपादकीय.......सडक़ दुर्घटनाएं


देश के जाने-माने उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री की पिछले दिनों सडक़ हादसे में हुई मौत ने मोटर वाहनों में निहित सुरक्षा उपायों और उनके इस्तेमाल की अहमियत की ओर नए सिरे से ध्यान आकर्षित किया है। यह बात खबरों में आई कि मिस्त्री कार में पिछली सीट पर बैठे थे और उन्होंने सीट बेल्ट नहीं बांध रखी थी। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर उन्होंने सीट बेल्ट बांधी होती तो उनके बचने की प्रबल संभावना थी। केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस मुद्दे पर बोला है। 
सच तो यह है कि हमारे देश में यात्री सुरक्षा के उपायों को लेकर भारी उदासीनता है। आलम यह है कि पिछली सीट पर यात्रा करते हुए भी सीट बेल्ट बांधने की जरूरत होती है, यह बात ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है। खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि कानून में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद लोग इसका पालन नहीं करते और ट्रैफिक पुलिस के ऑफिसर भी इस पर किसी तरह का कदम नहीं उठाते। सेंट्रल मोटर वेहीकल रूल 138 (3) में कहा गया कि है पिछली सीट पर बिना सीट बेल्ट लगाए यात्रा करने पर एक हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। परंतु इस कानून पर अमल होता नहीं दिखता। अब जरूर सरकार जागी है तो इस मोर्चे पर अगले कुछ दिनों में एक्शन दिखने की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्री गडकरी के बारे में उदासीनता या लापरवाही का आरोप नहीं लगाया जा सकता। वह इन मसलों पर भी न केवल बोलते रहे हैं बल्कि कार निर्माताओं से भी सुरक्षा उपाय बढ़ाने की अपील करते रहे हैं।
चूंकि बयान, सुझाव और अपील खास असर नहीं दिखा रहे इसलिए अब नियम कानूनों और दंडात्मक कार्रवाई का सहारा लेने की जरूरत है। सरकार ने संकेत भी दिया है कि न केवल सीट बेल्ट न लगाने वालों के साथ सख्ती बरती जाएगी बल्कि कम से कम छह एयरबैग और पिछली सीटों के लिए भी सीट बेल्ट अलार्म सभी गाडिय़ों में लगाना अनिवार्य करने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि कार कंपनियों की दलील है कि महंगे स्लॉट वाली गाडिय़ों में तो यह लगाया जाता है लेकिन छोटी गाडिय़ों की इससे लागत काफी बढ़ जाएगी, जिससे बिक्री पर बुरा असर पड़ सकता है। और कम आय वाले लोग छोटी कार भी नहीं ले पाएंगे। 
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारत सडक़ दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर है। एक तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार भारत में 2021 में सडक़ हादसों में 1,55,622 मौतें हुईं, जबकि जापान में सिर्फ 3 हजार। हर साल देश की जीडीपी का 3 से 5 प्रतिशत हिस्सा सडक़ हादसों से निपटने में ही खर्च हो रहा है। जापान की बात करें तो उसने ट्रेनों का जाल बिछाया। दस लाख से ज्यादा की आबादी वाले सभी शहरों में बुलेट ट्रेन की कनेक्टिविटी की गई। इससे सडक़ों का ट्रैफिक ट्रेन पर डायवर्ट होने लगा। यही नहीं जापान ने सडक़ पार्किंग पर पूरी तरह रोक लगा दी। हर कार मालिक के लिए गैराज सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया गया। हमारे यहां घर में पार्किंग या तो बनाई ही नहीं जाती या फिर वहां गाडिय़ां नहीं रखते। 
हादसे कम करने के लिए जापान ने अपने यहां छोटी गाडिय़ों को प्राथमिकता दी, जबकि हमारे यहां बड़ी-बड़ी गाडिय़ां विकास और रसूख का पैमाना बन गई हैं। शहरों के अंदर चलने के लिए तैयार की गईं इन गाडिय़ों की रफ्तार 40 किमी/ प्रति घंटा और लेन तय है। गलियों में कार चलाते हुए 19 किमी/प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार नहीं रखी जा सकती। ये गाडिय़ां लोग हाईवे पर नहीं चलाते। इससे हादसे कम हुए। लेकिन हम शायद सीखने के लिए तैयार नहीं होंगे। 
हमारे शहरों में पार्किंग सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है, क्योंकि कालोनी या सिंगल मकान बनाते समय इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। गली-मोहल्लों में तो कई जगह दो पहिया वाहन तक निकलने की जगह नहीं रहती। भोपाल जैसे शहरों में बड़ी सडक़ें बनी होने के बावजूद यहां सडक़ों पर न केवल गाडिय़ां खड़ी की जाती हैं, अपितु हाथ ठेले आदि खड़े होते हैं और लोग अपनी दुकानों या मकानों की हद भी सडक़ तक ले आते हैं। बाजारों की सडक़ें तो अतिक्रमण खा जाता है। हाइवे की बात करें तो हाइवे पर लेन सिस्टम नहीं है और न ही लोग नियमों का पालन करने में रुचि रखते। कहीं भी, कैसे भी ओवर टेकिंग की जाती है और अधिकांश बड़ी दुर्घटनाएं ओवरटेकिंग के समय ही होती हैं। 
फिर भी, यदि हम दुर्घटनाओं में कमी चाहते हैं, तो पहल हमें ही करनी होगी। सरकार नियम बना सकती है, पालन हमें करना होता है। नियमों का पालन सख्ती से तभी हो सकता है, जब जनता जागरूक हो और पालन कराने वालों का उद्देश्य पैसा कमाना या सरकारी खजाना भरने की टार्गेट न हो। भवन अनुज्ञा के मामले में भी सख्ती करनी होगी। पूरी कार्ययोजना एक साथ बनाई जाए, तभी दुर्घटनाओं में कमी संभव होगी, संबंधित विभागों का इसमें सामंजस्य भी जरूरी होगा। 
-संजय सक्सेना 

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