Editorial
रक्षा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि का दरवाजा

अमेरिका की टैरिफ नीतियों के चलते भारत और रूस के बीच एक बार फिर से नजदीकियां बढऩे लगी हैं। रूस भारत का सदियों से महत्वपूर्ण डिफेंस पार्टनर रहा है, बीच में कुछ सरकारों ने अमेरिका की ओर रुख कर लिया था। लेकिन बहुत जल्द उनका भ्रम भी टूटने लगा। अब हम फिर रूस की ओर देख रहे हैं और कहीं न कहीं रूस ने हमारी उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश भी की है। तेल के साथ ही रक्षा सौदों का एक नया अध्याय शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं।
खबर आई है कि जल्द ही रूस की फाइटर जेट बनाने वाली तकनीकी टीम नासिक का दौरा करने वाली है। नासिक में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का एक प्लांट है, जहां मेक इन इंडिया के तहत पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट बनेंगे। इससे पहले फ्रांस के तेज-तर्रार राफेल ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ठिकानों पर जमकर तबाही मचाई थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत रूस से पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट भी खरीदने का प्लान बना रहा है। भारत एस-400 के लिए एमआरओ फैसिलटी बनाने की योजना भी बना रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऐसी खबरें आई थीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को एफ-35 फाइटर जे देने का ऑफर दिया था। मगर, भारत ने संकेतों में ही यह प्रस्ताव मंजूर नहीं किया है। माना जा रहा है कि भारत ने अमेरिका के एफ-35 के मुकाबले रूस के एस-57 फाइटर जेट की खरीद में दिलचस्पी दिखाई है। मिग-21 के रिटायर होने के बाद से भारतीय वायुसेना में इसकी जरूरत महसूस की जा रही है।
भारतीय वायुसेना के पांचवीं पीढ़ी फाइटर जेट्स के आने से चीन और पाकिस्तान की टेंशन बढ़ेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस के इंजनीयरों की तकनीकी टीम नासिक प्लांट का निरीक्षण करने वाली है, ताकि यह आकलन किया जा सके कि क्या यहां एसयू-57ई पांचवीं पीढ़ी के जेट बनाए जा सकते हैं। दरअसल, यह कदम भारत के पांचवीं पीढ़ी के एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट के विकास में तेजी लाने की दिशा में बेहद अहम साबित होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एचएएल का नासिक प्लांट भारतीय एयरोस्पेस इंडस्ट्री का एक प्रमुख केंद्र है। यहां 2004 से रूस से लाइसेंस लेकर 220 से अधिक मल्टीरोल फाइटर बनाए जा चुके हैं। रूस का मानना है कि मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर, टूल्स, मशीनरी और असेंबली लाइन का उपयोग एसयू-57ई के निर्माण के लिए किया जा सकता है। अब केवल 20-30 प्रतिशत नई मशीनों और असेंबली जिग्स की जरूरत पड़ेगी, जिससे समय और लागत दोनों कम होंगे।
भारत के पास अभी स्क्वाड्रन क्षमता 31 रह गई है, जबकि वायुसेना को 42 की जरूरत है। पुराने मिग-21 विमानों के सेवानिवृत्त होने और स्वदेशी कार्यक्रम की देरी के कारण नई जरूरत पैदा हुई है। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में लगभग 54 से 60 जेट्स के अधिग्रहण की योजना का संकेत दिया है, ताकि चीन और पाकिस्तान के मुकाबले भारत की क्षमता बनी रहे।
माना जा रहा है कि यदि रूसी टीम अपने निरीक्षण के बाद नासिक को हरी झंडी दे देती है तो यह 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स का हब बन सकता है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लिए जेट इंजन भी बना रहा है। रूस के सहयोग से भारत फाइटर जेट्स बनाने में कामयाब हो सकता है और यह हमारे लिए रक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि होगी।