Editorial
मुफ्त योजनाओं में फर्जीवाड़ा

मध्यप्रदेश में मुफ्त राशन योजना के नाम पर बड़ा खेल सामने आया है। केवाईसी कराने के बाद पता चला कि 24 लाख लोग ऐसे हैं, जो इस योजना के लिए अपात्र थे, फिर भी सालों से मुफ्त राशन का लाभ उठा रहे थे। यह मामला केवल इस योजना में ही नहीं हुआ है, लाखों लोगों ने बीपीएल कार्ड फर्जी तरीके से बनवा कर ऐसी अनेक योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। लाखों लोग आयुष्मान में फर्जीवाड़ा करके केवल इलाज ही नहीं करवा रहे हैं, करोड़ों रुपए का घोटाला भी कर रहे हैं।
आज की खबर पर नजर डालते हैं। इसके अनुसार मध्यप्रदेश में जनवरी 2025 तक राशन कार्डधारकों की संख्या 5.46 करोड़ की सीमा पार कर 5.49 करोड़ तक पहुंच गई थी, जो खुद में चौंकाने वाला आंकड़ा है। इसके बाद सरकार ने सभी कार्डधारकों की एक-एक करके केवाईसी कराई। इसी प्रक्रिया में 24 लाख फर्जी लाभार्थी सामने आए। खाद्य विभाग ने इन 24 लाख अपात्र लोगों को योजना से बाहर कर दिया है। वहीं 7.5 लाख नए पात्र लोगों को योजना में शामिल किया गया है, जो अब तक इंतजार कर रहे थे।
खाद्य विभाग का कहना है कि अभी तक 93 प्रतिशत लोगों की केवाईसी करा ली गई है। बाकी लोगों का सत्यापन भी इसी साल पूरा कर लिया जाएगा। यहां बता दें कि मप्र में मुफ्त राशन योजना के तहत 30 लाख टन अनाज पीडीएस  यानि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बंटता है।
केंद्र सरकार ने भी 1.75 लाख लोगों की ऐसी सूची भेजी है, जो अपात्र होने के बाद भी मुफ्त राशन उठा रहे हैं। खाद्य विभाग ने इन सभी को नोटिस भेजा है। केंद्र सरकार ने सूची के साथ बताया है कि ये वो लोग हैं जिनकी सालाना आय 6 लाख रुपए से अधिक है। ये इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं। ऐसे कारोबारी भी योजना में रजिस्टर्ड हैं या किसी कंपनी में डायरेक्टर के नाम पर दर्ज हैं व जिनका जीएसटी रिटर्न में टर्नओवर 25 लाख रुपए से अधिक है। इन सभी लोगों को नोटिस का जवाब मिलने के बाद हटाया जाएगा।
इनमें कई लोग तो ऐसे थे, जो दो जगह राशन दुकान पर पंजीयन करवा कर राशन ले रहे थे। इसके साथ ही कई मृतकों के नाम पर भी कार्ड से अनाज लिया जा रहा था। इसके अलावा राज्य से बाहर जा चुके लोग और ऐसी महिलाओं या लड़कियों के नाम के कार्ड भी अस्तित्व में थे, जबकि उन लोगों ने दूसरी जगह अपने कार्ड बनवा लिये हैं। यहां उन कार्डों के नाम से राशन लिया जा रहा था।
हालांकि इसमें गिव अप अभियान भी चल रहा है, जिसके तहत लोग स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा के तहत मिलने वाला राशन छोड़ देते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसा अभी तक नहीं देखा गया है।
मुफ्त राशन योजना में केवल फर्जी कार्ड से ही फर्जीवाड़ा नहीं हो रहा है, बल्कि  कई लोग राशन लेकर सीधे व्यापारियों को बेच भी रहे हैं। राशन की दुकानों से कई-कई क्विंटल चावल और गेहूं सीधे व्यापारियों या चक्कियों पर जाता है, जहां उन्हें अच्छी कीमत मिल जाती है। एक रुपए किलो वाला गेहूं तो फिर भी कई लोग ले जाते हैं, लेकिन चावल बीस रुपए किलो तक में बाहर बिकवा दिया जाता है। इस पर भी लगाम लगना चाहिए। क्योंकि आज भी हजारों, नहीं लाखों लोग ऐसे हैं, जिनके कार्ड नहीं बन पाते, लेकिन उनकी हालत बीपीएल से भी खराब है। उनके लिए कोई राहत वाली योजना सरकार शायद बना ही नहीं पाती, क्यांकि वे उनकी मुफ्त योजनाओं के दायरे में नहीं आ पाते हैं। और फर्जीवाड़ा भी नहीं कर पाते, लेकिन उन्हें जरूरत तो है।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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