Editorial
शीर्ष अदालत का फैसला

शीर्ष अदालत ने आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजे जाने के खिलाफ याचिका पर आज बड़ा फैसला दे दिया है और इस फैसले से पशु प्रेमी खुश हो रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने शेल्टर होम भेजे गए कुत्तों को स्टरलाइजेशन के बाद छोडऩे का आदेश दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वह पूरे देश के लिए एक समान नियम लागू करना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सभी राज्यों के नोटिस भेजा है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि खतरनाक कुत्तों को नहीं छोड़ा जाए। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने कुत्तों को खाना देने के लिए एक निर्धारित स्थान बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि हर जगह कुत्तों को खाना देने से समस्या होती है। अदालत का कहना है कि पशुपालन केंद्रों, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और राज्यों के सचिवों को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने राज्यों के हाईकोर्ट में ऐसे ही लंबित मामलों को लेकर रजिस्ट्री से जानकारी भी मांगी है। ऐसे सभी मामले शीर्ष अदालत में ट्रांसफर किए जाएंगे।
जस्टिस जेजे विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खिलाने पर रोक लगे। शीर्ष अदालत ने पहले के आदेश को मॉडिफाई करते हुए कहा कि शेल्टर होम भेजे गए कुत्तों को छोड़ा जाए। असल में याचिका में 11 अगस्त को दो जजों की पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों पर रोक लगाने की मांग की गई थी। 11 अगस्त को दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकडक़र उसे शेल्टर होम्स में भेजने को कहा था। इस फैसले के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया गया और मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच के सामने आया। सुनवाई के दौरान 11 अगस्त के फैसले पर रोक की मांग की गई थी।
दरअसल 11 अगस्त के फैसले के बाद मामला जब सुप्रीम कोर्ट के सामने दोबारा उठाया गया तब इस मामले की सुनवाई तीन जजों की इस पीठ को सौंप दिया गया। ऐसा तब हुआ जब कुछ वकीलों ने भारत के चीफ जस्टिस के समक्ष उल्लेख किया कि ये निर्देश अन्य बेंच के पहले के आदेश के विपरीत हैंं। 14 अगस्त को तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और यह आदेश सुरक्षित रखा कि 11 अगस्त के निर्देशों पर रोक लगाई जाए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान टिप्पणी की थी कि आवारा कुत्तों की समस्या अथॉरिटी की निष्क्रियता के कारण हुई है।
11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में कुत्तों के काटने और रेबीज के खतरे को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, दिल्ली और एनसीआर की अथॉरिटी को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया था कि वे तुरंत सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को पकडऩा शुरू करें और उन्हें डॉग शेल्टर में भेजें। यह निर्देश नोएडा, गुरुग्राम और गाजि़याबाद पर भी लागू होंगे। अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को पकडऩे में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अदालत ने स्पष्ट किया था कि प्राधिकरण आवारा कुत्तों को पकडऩे के लिए एक विशेष फोर्स बना सकते हैं।
देखा जाये तो सवोच्च न्यायालय ने बीच का रास्ता निकाला है और ये उचित भी कहा जा सकता है। सवाल पशु प्रेमियों के खुश होने का नहीं है, किसी के साथ भी क्रूरता नहीं होना चाहिए, लेकिन मुद्दा यह भी महत्वपूर्ण है कि उनसे किसी और को खतरा भी नहीं हो। आवारा कुत्ते दोहरी समस्या बने हुए हैं। एक तो सडक़ों पर खुले आम घूमते हैं, उनसे रोजाना सैकड़ों दुर्घटनाएं होती हैं। दूसरे, किसी को भी काट लेते हैं, रात को और अधिक खतरनाक हो जाते हैं। रैबीज फैल जाता है। ये मुद््दे कम महत्वपूर्ण नहीं हैं।
इस समस्या को लेकर सामान्य तौर पर किसी भी पशु प्रेमी या ऐसे संगठन ने चिंता नहीं जताई। किसी ने कुत्ते को पत्थर भी मार दिया तो लडऩे पर उतारू हो जाते हैं। ये नहीं देखते कि उसके कारण किसी को क्या नुकसान हुआ है। संवेदना पशुओं से उचित है, पर दूसरे को कष्ट पहुंचाने का भी ध्यान रखना चाहिए। मानवता भी होना उतना ही जरूरी है। यही कारण है कि सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए बीच का रास्ता निकाला है। सरकारों के साथ ही पशु प्रेमी भी इस बात का ध्यान रखें कि पशुओं के कारण किसी की जान न जाए।



