MP : ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खोला राजघराने का राज, दादी या राजमाता कौन थीं भारी..?

ग्वालियर। सिंधिया राजवंश की जड़ें मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र दोनों ही जगहों से जुड़ी हुई हैं. राजवंश के हर सदस्य के नाम भी अपने आप में सबसे अलग हैं. सिंधिया राजघराने के युवराज महाआर्यमन सिंधिया का नाम जितना अलग है, उतना ही अनोखा नाम है उनके पिता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का, लेकिन उनको यह नाम कैसे मिला इस बात का किस्सा खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया.
राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ के दिल्ली कार्यालय केशव कुंज में शुक्रवार को छत्रपति शिवाजी पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में सिंधिया राजघराने के महाराज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. जब मंच पर संचालिका ने उनका नाम लिया तो वह नाम बोलने में अटकी लेकिन इस बात पर केंद्रीय मंत्री ने उन्हें सहज करने सभी को एक किस्सा सुनाया और बताया कि आखिर उन्हें ज्योतिरादित्य नाम कैसे मिला.
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि जब उनका नामकरण होना था तो नाम को लेकर माता पिता और उनकी दादी के बीच लंबी चर्चा हुई थी. पिता माधवराव सिंधिया और माता माधवीराजे सिंधिया की आशा थी कि, उनका नाम ‘विक्रमादित्य’ रखा जाए, और उनकी आजी अम्मा यानी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया की इच्छा थी की उनका नाम महाराष्ट्र में उनके कुल देवता के नाम पर ‘ज्योतिबा’ रखा जाए.
नाम को लेकर दोनों पक्षों के अलग अलग मत थे लेकिन नाम तो तय होना ही था, इसलिए माता पिता और दादी राजमाता दोनों के बीच में समझौता हो गया कि, दोनों सुझाए गए नामों का आधा-आधा भाग लेकर एक नया नाम रखेंगे. इसलिए ज्योतिबा से ‘ज्योति’ और विक्रमादित्य से ‘आदित्य’ लिया गया और दोनों को जोड़ने के लिए बीच में ‘र’ अक्षर आया और उनका नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया रखा गया.





