Dr. Ranawat : अटलजी के घुटनों की सर्जरी करने वाले जोड़ों के जादूगर डॉ. चितरंजन सिंह राणावत का न्यूयॉर्क में निधन

नीमच। जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी को आधुनिक रूप देने वाले अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. चितरंजन सिंह राणावत का शुक्रवार को न्यूयॉर्क में निधन हो गया। 1 अप्रैल 1934 को नीमच जिले के सरवनिया में जन्मे राणावत ने इंदौर से चिकित्सा शिक्षा प्राप्त कर न्यूयॉर्क को कार्यक्षेत्र बनाया। उन्होंने घुटना-कूल्हा प्रत्यारोपण तकनीक विकसित कर वैश्विक पहचान बनाई।
2001 में उन्हें पद्मभूषण मिला था। उन्होंने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की घुटनों की सर्जरी भी की थी। राणावत ने डेली कॉलेज, होलकर साइंस और एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई कर एमवायएच में इंटर्नशिप की। बाद में विक्रम विवि से एमएस करने के बाद अमेरिका में शोध शुरू किया।
डॉ. राणावत ने घुटना-कूल्हा प्रत्यारोपण तकनीक विकसित की, इंदौर में सर्जनों को प्रशिक्षित किया, राणावत ऑर्थोपेडिक फाउंडेशन स्थापित किया और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में चिकित्सा शिक्षा को नया आयाम दिया।

उनकी विदाई एक युग का अंत
ऑर्थोपेडिक सर्जरी की दुनिया में डॉ. चितरंजन एस. राणावत ने घुटना और कूल्हा प्रत्यारोपण तकनीक को नया आयाम देकर करोड़ों मरीजों को चलने की उम्मीद दी। उनके शोध और बनाए इम्प्लांट्स ने जीवन आसान किया। वे न सिर्फ महान सर्जन, बल्कि शिक्षक और प्रेरणा स्रोत भी थे। जैसे संगीत में लता मंगेशकर और क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर, वैसे ही जोड़ों की सर्जरी में राणावत का नाम अमर रहेगा। – डॉ. प्रवीण अग्रवाल, वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन
परिजन इंदौर और नीमच में… डॉ. राणावत के परिजन इंदौर पलासिया स्थित राणावत कंपाउंड और नीमच में रहते हैं। भले ही उनका कार्यक्षेत्र विदेश रहा, पर उनका हृदय जन्मभूमि से जुड़ा था। परिवार में चार भाई हैं—गजेंद्र सिंह, जयेंद्र सिंह, डॉ. चितरंजन और डॉ. नितरंजन। भतीजे रवि प्रताप सिंह ने बताया कि रविवार शाम 4 बजे आनंदमयी पीठ, मेडिकल कॉलेज के पास श्रद्धांजलि सभा होगी।





