नितिन कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
(स्व. भाई रतनकुमार गुप्ता के पौत्र)
9425609160
भोपाल.
जुमेराती क्षेत्र में स्थित भोपाल की ऐतिहासिक रतन कुटी, जो एक युग के आंदोलन, पत्रकारिता और लोकतंत्र की साक्षी रही है, अब केवल स्मृतियों में रह गई। कुछ दिनों पहले हुई मूसलधार बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हुई इस इमारत को आज भोपाल नगर निगम द्वारा जमींदोज कर दिया गया।
यह वही रतन कुटी है जहां से विलीनीकरण आंदोलन के प्रणेता स्व. भाई रतनकुमार गुप्ता ने अपने समाचार-पत्र नई राह के माध्यम से नवचेतना का संदेश पूरे भोपाल में फैलाया था। यही वह स्थल है जहां 1 जून 1949 को भोपाल के भारत में विलीनीकरण का पहला सार्वजनिक जश्न मनाया गया था — यह तिथि आज ‘भोपाल गौरव दिवस’ और ‘विलीनीकरण दिवस’ के रूप में मनाई जाती है।
इतना ही नहीं, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बाबूलाल गौर ने जब पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब यही रतन कुटी उनका चुनावी कार्यालय बनी थी, जिसे भाई रतनकुमार गुप्ता द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराया गया था।
इतिहासकारों और शहर के जागरूक नागरिकों का मानना है कि यदि समय रहते शासन-प्रशासन सजग होता, तो इस ऐतिहासिक इमारत को राजकीय धरोहर के रूप में संरक्षित किया जा सकता था। यह भवन केवल ईंट-पत्थर नहीं था, बल्कि भोपाल की राजनीतिक, सामाजिक और पत्रकारिक चेतना का जीवंत प्रतीक था।
अब जबकि यह अमूल्य धरोहर मलबे में तब्दील हो चुकी है, यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है —
क्या हमारे शहरों की स्मृति-चिह्नों के प्रति प्रशासन और समाज की उपेक्षा ही हमारे इतिहास को मिटा रही है?
Bhopal: ऐतिहासिक रतन कुटी ध्वस्त… विलीनीकरण आंदोलन की साक्षी इमारत इतिहास बनी
